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Tuesday, July 24, 2012

तू जो नहीं है तो, कुछ भी नहीं है



तू जो नहीं है तो,  कुछ भी नहीं है
ये माना की, महफ़िल जवान है हसीं है
समझ में न आये, ये क्या माजरा हैं
तुझे  पाकर  दिल में, ये खाली सा क्या है

क्यों हर वक्त, दिल में, कोई बेखली है
क्यों हर वक़्त, सीने में , रहती कमी है

मुझे फिर तबाह कर, मुझे फिर रुला जा
सितम करने वाले , कहीं से तू आजा

मैं जिंदा हूँ, लेकिन कहाँ ज़िन्दगी है
मेरी ज़िन्दगी , तू कहाँ खो गयी है

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तू जो नहीं है तो, कुछ भी नहीं है

3:25:00 AM Reporter: Vishwajeet Singh 0 Responses


तू जो नहीं है तो,  कुछ भी नहीं है
ये माना की, महफ़िल जवान है हसीं है
समझ में न आये, ये क्या माजरा हैं
तुझे  पाकर  दिल में, ये खाली सा क्या है

क्यों हर वक्त, दिल में, कोई बेखली है
क्यों हर वक़्त, सीने में , रहती कमी है

मुझे फिर तबाह कर, मुझे फिर रुला जा
सितम करने वाले , कहीं से तू आजा

मैं जिंदा हूँ, लेकिन कहाँ ज़िन्दगी है
मेरी ज़िन्दगी , तू कहाँ खो गयी है

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