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Wednesday, December 18, 2013

Amravati Antiplastic Movie Hindi

विभिन्न संघटनो द्वारा कई वर्षो से जनसामान्य के प्रश्नों पर विभिन्न स्तरों से आवाज उठाई जाती रही हैं. कभी मोर्चे के स्वरुप में, कभी पत्र- पत्रिकाओ में प्रकाशित होने वाले लेखो द्वारा, तो कभी चित्रीकरण करके  इन विषयो को पिरो कर बने गई यह लघु फिल्म सफ़ेद धुआं....काली आहुति...प्रशासन को तथा जनसामान्य में प्लास्टिक के दुष्परिणामो को विषद करती हुई, कई प्रश्नों को सबके सम्मुख उपस्थित करती हुई यह फिल्म का निर्माण विश्वभारती नागरिक मंच के द्वारा अमरावती शहर में प्लास्टिक से उपजी समस्याओ को लेकर यह क्रांति की कड़ी हैं यह लघु फिल्म. यह सम्पूर्ण फिल्म अमरावती शहर में चित्रित की गई हैं तथा मंच के सदस्यों द्वारा भूमिका की गई हैं..हमारा मंच प्रसार माध्यम, वृत्तपत्र, तथा अमरावती शहर के सभी पत्रकारों का तथा सभी सहयोगी बंधुओ का आभारी हैं. 

Tuesday, December 17, 2013

हो गया तो ...ऐसा लगता हैं !!!!!

एक बार शादी हो गई की आगे का जीवन सुख से निकल जाएगा ऐसा हमको लगता हैं..... 
इसी प्रकार से आगे बच्चे हो गए तो ......
बढ़ा घर बन गया तो और उस घर में रहने चले गए तो.....
ऐसी अनगिनत इच्छाएँ बढती ही जाती हैं.
उस दौरान अपने बच्चे अभी बढे हुए नही ....वो बढे हो गए की सब ठीक हो जाएगा  ऐसा हम मन को समझाते रहते हैं
बच्चो के वयस्क होते ही ...उनके भविष्य के सुंदर सपनों से हम अपने दिन को सजाते रहते हैं ...
बच्चे थोडा देख-रेख, कामकाज करने लायक हो गए की सब आनंद ही आनंद रहेंगा ऐसा हमे लगने लगता हैं.
अपनी पत्नी  जरा अच्छे से व्यव्हार करने लगी की ....
अपने दरवाजे पर गाडी आ गई  तो....
हमे इच्छानुरूप छुट्टी मिली की...
रिटायर हो गए की ....
हमारा जीवन कितने सुखो से भर जाएगा....ऐसा हम खुद अपने आप से बताते रहते हैं...
हकीकत तो यह हैं की ...आनंदित होने के लिए.. सुखी होने के लिए यह समय के अलावा दूसरा उचित समय कोई हैं ही नही.
जीवन में आव्हान तो रहने वाले हैं ही...उसे स्वीकारना और झेलते झेलते आनंदी रहने का निश्चय करना यह सही हैं नही क्या? 

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Amravati Antiplastic Movie Hindi

6:41:00 PM Reporter: Vishwajeet Singh 0 Responses
विभिन्न संघटनो द्वारा कई वर्षो से जनसामान्य के प्रश्नों पर विभिन्न स्तरों से आवाज उठाई जाती रही हैं. कभी मोर्चे के स्वरुप में, कभी पत्र- पत्रिकाओ में प्रकाशित होने वाले लेखो द्वारा, तो कभी चित्रीकरण करके  इन विषयो को पिरो कर बने गई यह लघु फिल्म सफ़ेद धुआं....काली आहुति...प्रशासन को तथा जनसामान्य में प्लास्टिक के दुष्परिणामो को विषद करती हुई, कई प्रश्नों को सबके सम्मुख उपस्थित करती हुई यह फिल्म का निर्माण विश्वभारती नागरिक मंच के द्वारा अमरावती शहर में प्लास्टिक से उपजी समस्याओ को लेकर यह क्रांति की कड़ी हैं यह लघु फिल्म. यह सम्पूर्ण फिल्म अमरावती शहर में चित्रित की गई हैं तथा मंच के सदस्यों द्वारा भूमिका की गई हैं..हमारा मंच प्रसार माध्यम, वृत्तपत्र, तथा अमरावती शहर के सभी पत्रकारों का तथा सभी सहयोगी बंधुओ का आभारी हैं. 

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हो गया तो ...ऐसा लगता हैं !!!!!

1:56:00 PM Reporter: Vishwajeet Singh 0 Responses
एक बार शादी हो गई की आगे का जीवन सुख से निकल जाएगा ऐसा हमको लगता हैं..... 
इसी प्रकार से आगे बच्चे हो गए तो ......
बढ़ा घर बन गया तो और उस घर में रहने चले गए तो.....
ऐसी अनगिनत इच्छाएँ बढती ही जाती हैं.
उस दौरान अपने बच्चे अभी बढे हुए नही ....वो बढे हो गए की सब ठीक हो जाएगा  ऐसा हम मन को समझाते रहते हैं
बच्चो के वयस्क होते ही ...उनके भविष्य के सुंदर सपनों से हम अपने दिन को सजाते रहते हैं ...
बच्चे थोडा देख-रेख, कामकाज करने लायक हो गए की सब आनंद ही आनंद रहेंगा ऐसा हमे लगने लगता हैं.
अपनी पत्नी  जरा अच्छे से व्यव्हार करने लगी की ....
अपने दरवाजे पर गाडी आ गई  तो....
हमे इच्छानुरूप छुट्टी मिली की...
रिटायर हो गए की ....
हमारा जीवन कितने सुखो से भर जाएगा....ऐसा हम खुद अपने आप से बताते रहते हैं...
हकीकत तो यह हैं की ...आनंदित होने के लिए.. सुखी होने के लिए यह समय के अलावा दूसरा उचित समय कोई हैं ही नही.
जीवन में आव्हान तो रहने वाले हैं ही...उसे स्वीकारना और झेलते झेलते आनंदी रहने का निश्चय करना यह सही हैं नही क्या? 


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