सर्दियो की नर्म धुप में काश
काश इक ऐसा सवेरा हो
जब कहीं दूर जंगल में नाचें मोर
और भँवरे भी महकाए शोर
और मै अपने मित्रो के संग
गाऊँ एक प्यारासा नगमा
और महकती कलियो में
शबनम भी खूब छलकते हो
और ठंडी सी फिजा में
कोयल की कूक भी शामिल हो
काश इक ऐसा सवेरा हो
जब हर तरफ ख़ूबसूरती का बसेरा हो
और हर तरह के फूलो की महक ने
सर्दियों की नर्म धुप में
.............काश इक ऐसा सवेरा हो
काश इक ऐसा सवेरा हो
जब कहीं दूर जंगल में नाचें मोर
और भँवरे भी महकाए शोर
और मै अपने मित्रो के संग
गाऊँ एक प्यारासा नगमा
और महकती कलियो में
शबनम भी खूब छलकते हो
और ठंडी सी फिजा में
कोयल की कूक भी शामिल हो
काश इक ऐसा सवेरा हो
जब हर तरफ ख़ूबसूरती का बसेरा हो
और हर तरह के फूलो की महक ने
सर्दियों की नर्म धुप में
.............काश इक ऐसा सवेरा हो
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