संध्या के समय ठाकुर साहब ने हेलमेट पहनकर सभी कागज पत्र ओके वाली दोपहिया गाड़ी नागपुर की सड़क पर चलाई, किसी अज्ञात ने ठाकुर साहब के वाहन को टक्कर मार दी, ठाकुर साहब जगह पर ही मर गए ! इसमें क्या ठाकुर साहब की गलती है ?
नागपुर शहर में पिछले २ महीने से हो रही 212 से भी ज्यादा सड़क दुर्घटनाओं में 73 लोगो ने जीवन गंवाया है। इसमें कुछ ही मामलों में दोषियों पर पुलिस द्वारा कार्यवाही की गई, बाकी अन्य में अज्ञात व्यक्ति के नाम पर दुर्घटनाओं के मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। दुर्घटना में लिप्त व्यक्तियों की जांच कर अब तक अपराधियों पर कार्यवाही न करना पुलिस की कार्यप्रणाली पर ही शंका उत्पन्न करता है। नागपुर शहर के सर्वाधिक सुरक्षित शासकीय कार्यालयों से युक्त क्षेत्र जिला न्यायालय, जिलाधिकारी कार्यालय, आकाशवाणी के मार्ग पर दिनांक 18 फरवरी 2024 को संध्या के समय समाजसेवी श्री शिवबहादुर सिंह ठाकुर की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनका भरा पूरा शोकाकुल परिवार अब भी सदमे में है। 1 महीना बीत जाने के उपरांत भी उनके वाहन को टक्कर मारनेवाली कार एवम दोपहिया वाहन बाइक की अब तक पहचान न होना, पुलिस की जांच प्रणाली, लेटलतीफी पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित करता है। सात वर्ष पहले वर्ष 2016 में नागपुर शहर को केंद्र सरकार द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस के कार्यकाल में कुल 3,303 करोड़ रुपए की लागत से स्मार्ट सिटी शहरी विकास योजना के अंतर्गत शहर में 3700 सीसीटीवी कैमरे 524 करोड़ रुपए खर्च कर लगाए गए थे, जिनकी देखरेख L&T कंपनी करती है, परंतु दुर्घटना का एक भी CCTV फुटेज प्राप्त न होना यह भी नागरिक सुरक्षा को लेकर व्यवस्था पर प्रश्न उपस्थित करता है। नागपुर शहर को 2020 में सेफ एवं स्मार्ट सिटी पुरस्कार मिला था, परंतु नागरिकों के लिए नागपुर शहर सुरक्षित नही है यह दुर्घटनाओं की संख्या को देखकर स्पष्ट होता है। दुर्घटना के कारणों की जांच करना एवं दोषियों पर कार्यवाही कर न्याय दिलाना पुलिस प्रशासन का कर्तव्य होता है, परंतु सामान्य नागरिकों के संबंध में पुलिस प्रशासन गंभीर नहीं है। वही गडकरी जी के बेटे या फडणवीस जी की बेटी की बात होती, या उनके माता-पिता की दुर्घटना की बात होती तो शायद 1 दिन में ही जांच होकर, अपराधियों की धरपकड़ कर कार्यवाही हो जाती। प्रशासन नागरिकों के लिए गंभीर नहीं है। समाजसेवी श्री शिवबहादुर सिंह ठाकुर जी की दुर्घटना में मृत्यु होने के कारणों का एक माह पश्चात भी पता नही चलना, पुलिस की जांच पर ही सवालिया निशान लगाता है। शहर में विभिन्न जगहों पर नागपुर महानगर पालिका द्वारा ठेकेदारों के माध्यम से सीमेंट रोड के निर्माण कार्य शुरू है, उनमें से एक कार्य जिलाधिकारी कार्यालय के सामने से आकाशवाणी चौक होते हुए महाराजबाग तक शुरू है, इसके ठेकेदार ACEPL लिमिटेड कंपनी के श्री अभिषेक विजयवर्गीय है, इनकी जिम्मेदारी थी की रोड निर्माण के कार्यों में सुरक्षा नियमों का पालन कर बैरिकेड लगाकर समुचित व्यवस्था करें परंतु ठेकेदार की दोषपूर्ण निर्माण प्रणाली एवं कार्य के कारण दुर्घटना में जीवन गंवाने वाले शिवबहादुर सिंह ठाकुर जी के परिवार ने ठेकेदार कंपनी ACEPL लिमिटेड के संचालक अभिषेक विजयवर्गीय पर सदोष मनुष्यवध की कलम अंतर्गत कार्यवाही करने का निवेदन किया है। नागरिकों की सुरक्षा की दृष्टि से नागपुर शहर में पिछले 2 महिनों में सड़क दुर्घटनाओं पर जान गंवाने वालों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए सभी केसेस की जांच के लिए SIT विशेष जांच दल गठित करने का सरकार से पत्रकार परिषद में निवेदन किया है। बड़े बड़े विकसित शहरों में जीवन को सबसे ज्यादा महत्व प्राप्त है, जब नागरिकों का जीवन ही सुरक्षित नही होगा तो जीवन के स्तर को सुधारने के लिए निर्मित सुख सुविधा, संसाधन जैसे बड़े बड़े रास्ते, ब्रिज, मेट्रो का औचित्य ही क्या रह जायेगा? करोड़ों रुपए खर्च कर बहुत बड़ी प्लानिंग नियोजन से सीमेंट रास्ते बनाएं जाते है, वे बनाते समय नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च रखते हुए पूर्ण किए जाए, जिससे नागरिकों को तकलीफ न हो। और हां दुर्घटना के उपरांत पुलिस वाले दोषी को बचाने के लिए अज्ञात न लिखे। दुर्घटना में मृतक के परिवार को यह भी स्पष्ट बता दीजिए की सड़क दुर्घटनाओं के लिए जांच पुलिस नही कर सकती है, पुलिस आयुक्त के पास भी अनेकों कार्य होते है जैसे पुलिस क्रीड़ा में शामिल होना, बड़े बड़े कार्यक्रमों में भाषण देना, किताब लिखना, शहर में किसी प्रमुख व्यक्ति के आने पर स्वागत के लिए Line Up में हाथ जोड़कर खड़े रहना और कहना स्मार्ट शहर नागपुर में स्वागत है, बंदोबस्त में कोई कमी हो तो आदेश करें।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित रस्ता सुरक्षा समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय सप्रे (सेवानिवृत्त) जी को भी निवेदन करते है की जनता को जनजागृति का बहाना बनाकर दोषियों को बचाने का प्रयास न करें, दुर्घटना हुई है तो कारण है, जिम्मेदार है । प्रशासन को अनुशासन की आवश्यकता है, जब भी प्रशासन ढीला रवैया अपनाता है, दुर्घटना होती है। दुर्घटना का आरोप किसी अज्ञात पर मढ़ना गैरजिम्मेदाराना है, इससे भ्रष्टाचार बढ़ता है, मासूम नागरिकों का जीवन बर्बाद हो जाता है।
नागपुर ने अनेक दुर्घटनाएँ देखी है, पुल गिर गया, क्या इसमें मृत नागरिकों का दोष है ?
स्टार बस से दुर्घटना हुई, क्या इसमें मृत नागरिकों का दोष है ?
बिल्डर की बनाई हुई बिल्डिंग गिर गई क्या इसमें दबकर मरनेवाले नागरिकों का दोष है?
पुलिस प्रशासन को स्पष्ट अनुशासन में रहकर नियमानुसार जांच करने का आदेशित करें, समय के अधीन पुलिस प्रशासन जांच करेगा तो कोई चंद्रमा, मंगल ग्रह पर भी होगा नियमानुसार पकड़ा ही जाएगा।
गडकरी जी, फडणवीस जी जैसे कर्तृत्ववान व्यक्तिमत्व से प्रसिद्ध नागपुर नगरी के प्रशासनिक अधिकारियों एवं सरकारी कर्मचारियों को अनुशासन की आवश्यकता है, यह हमने स्व. शिवबहादुर सिंह ठाकुर जी की दुर्घटना में हुई दर्दनाक मृत्यु के उपरांत विभिन्न प्रशासनिक कार्यालयों में पदस्थ बैठे सरकारी अधिकारियों द्वारा नागरिकों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार को अनुभव कर समझा है।
प्रधान सेवक लिख लेने से गौरवान्वित महसूस करने वाले प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही अमृतकाल की सरकार में प्रशासन पर पकड़ नहीं होना बहुत चिंताजनक है। जब सामान्य नागरिक किसी अधिकारी (सरकारी नौकर) के सामने खड़े रहता है, उस कार्य के लिए जिसकी सरकारी नौकर को तनख्वाह मिलती है, वहां सभी मानव अधिकार, मानवीय मूल्य और नैतिकता की गठरी की पोल खुल जाती है।
ठाकुर जी की मृत आत्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि जिनके कारण हम प्रशासनिक नौकरों की संस्कृति से अवगत हो पाएं।
इंसान होने का हम कर्तव्य निभाएंगे,
न्याय के लिए अन्याय नहीं सहेंगे,
फिर आवाज उठाएंगे जब तक हम मर नहीं जाएंगे!